IIT Guwahati का इनोवेशन: ₹20 में मिलेगा 1000 लीटर पीने योग्य शुद्ध पानी

IIT गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने सिर्फ ₹20 में 1000 लीटर भूजल को शुद्ध करने की तकनीक विकसित की है, जो फ्लोराइड और आयरन को हटाकर पानी को पीने लायक बनाती है।

IIT Guwahati का इनोवेशन: ₹20 में मिलेगा 1000 लीटर पीने योग्य शुद्ध पानी

अब सिर्फ ₹20 में मिलेगा 1000 लीटर शुद्ध पानी, IIT Guwahati ने बनाई देसी और असरदार तकनीक

गुवाहाटी। देश में पीने योग्य पानी की किल्लत लगातार गंभीर होती जा रही है। ऐसे समय में IIT गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी कम लागत और उच्च प्रभाव वाली जल शुद्धिकरण तकनीक तैयार की है, जो सिर्फ ₹20 में 1000 लीटर तक पानी को पीने योग्य बना सकती है।

देसी तकनीक से मिलेगा शुद्ध और सुरक्षित पानी

IIT गुवाहाटी के रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर मिहिर कुमार पुरकैत की अगुवाई में डॉ. अन्वेषण, डॉ. पियाल मंडल और मुकेश भारती की टीम ने इस अनोखी तकनीक को विकसित किया है। यह प्रणाली बेहद सस्ती, देसी और टिकाऊ है, जो खासतौर पर फ्लोराइड और आयरन जैसी हानिकारक अशुद्धियों को दूर करने में सक्षम है।

फ्लोराइड और आयरन को करता है साफ

इस तकनीक की मदद से पानी में मौजूद 94% आयरन और 89% फ्लोराइड को हटाया जा सकता है, जिससे पानी पूरी तरह से पीने लायक और सुरक्षित हो जाता है। यह सिस्टम रोजाना 20,000 लीटर तक पानी शुद्ध करने की क्षमता रखता है, जो इसे ग्रामीण और पानी-संकट से जूझ रहे क्षेत्रों के लिए बेहद उपयोगी बनाता है।

स्केलेटल फ्लोरोसिस से बचाव

फ्लोराइड युक्त पानी पीने से एक गंभीर बीमारी स्केलेटल फ्लोरोसिस हो सकती है, जिसमें हड्डियों में दर्द, जकड़न और कमजोरी महसूस होती है। यह स्थिति खासतौर पर उन इलाकों में देखने को मिलती है, जहां भूजल में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होती है। IIT की यह तकनीक इस समस्या से राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकती है।

कैसे काम करती है यह तकनीक?

यह तकनीक झिल्ली आधारित एक सरल और ऊर्जा-किफायती प्रक्रिया का उपयोग करती है, जिसमें किसी महंगी मशीन या बिजली की जरूरत नहीं पड़ती। इसे किसी भी जल स्रोत पर लगाया जा सकता है और यह स्वच्छता के साथ-साथ स्वास्थ्य सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है।

निष्कर्ष

IIT गुवाहाटी की यह खोज देश के लिए एक आशा की किरण है। यह तकनीक जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों में सस्ता, सुलभ और सुरक्षित पानी उपलब्ध कराने में क्रांतिकारी साबित हो सकती है। अब वक्त है कि इस तकनीक को राष्ट्रीय स्तर पर अपनाकर हर नागरिक को पीने के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध कराया जाए।